Thursday, 4 June 2015

दिवा-स्वप्न




बूढे़ दरख्त ने देखा
दिवा-स्वप्न
सूखी षाखें भर गईं
कलोंजर और किसलयों से
नख षिखान्त

दिन भर फूला रहा

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