“ - की कविताओं के बारे में कुछ नहीं, क्योंकि जो कहना था वह अपने समय के बेहतर
षिल्प में 1984 से 2000 तक लिखी गई, इन कुछ कविताओं के रूप में भी सामने है। मगर
कुछ वैसे लोगो का ऋृण स्वीकार करना अनिवार्य है, जिन्होंने अनाम-गोत्र
युवतर कविता को अप्रत्याषित स्थान देकर प्रकाषित किया, और मेरे आत्मविष्वास
को बढ़ाया। पहली कविता सप्ताहिक हिन्दुस्तान ने छापी। इसके उत्प्रेरक थे - कुमार उत्तम,
जिनकी आस्था ने कविता
में मेरा प्रकाषन प्रारंभ कराया। आचार्य जानकी बल्लभ षास्त्री ने इन कविताओं को देखकर
1991 में लिखा - “ रामेष्वर द्विवेदी नए संभावनाषील कवियों में बहुचर्चित और लोकप्रिय
कवि हैं। उनकी भाशा में जो ओज और ताजगी है वह उनकी प्राणवत्ता और आन्तरिक उर्जा की
ही प्रतिच्छवि है। जीवन को गहराइयों में उतर कर विविध कोणों से देखने वाली दृश्टि है उनके पास जिस कारण उनकी सृश्टि में अनायास
का सहज प्रवाह है।
No comments:
Post a Comment