बच्चों !
तुम नहीं हो सिर्फ पुत्र-पुत्री
पौत्र-भाई-बहन जैसा एक रिष्ता
किसी व्यक्ति के लिए
एक सपना हो तुम
माँ की ऑखों में
कच्चे दूध की हर घूंट के साथ
समाज के लिए आकार लेते हुए
सार्थक सपना हो
तुम मुस्कुराते हो तो
दस्तक देता है बसंत
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