मैं जाना चाहता हूँ गावँ
जहाँ पूजी जाती थी गाय की भी कोख
बहू वाले सपनों कि तर्ज पर
और बेटियों की तरह
पला गया था ईमान
पता नहीं, वह गावँ कहीं है भी कि नहीं.
जहाँ पूजी जाती थी गाय की भी कोख
बहू वाले सपनों कि तर्ज पर
और बेटियों की तरह
पला गया था ईमान
पता नहीं, वह गावँ कहीं है भी कि नहीं.
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