Tuesday, 5 June 2012

एक परिचयः मेरे बाद (पंडित श्री योगेन्द्र द्विवेदी) (1923 - 28 फरबरी, 2011))


भूमि पर मुझको लिटाना             
जब कभी तो इस तरह कि
पीठ पर आकाश……..
मेरे होंठ मिट्टी से जुडे हों
लोग पूछें तो बता देना
सिर्फ देना जानता था
बसेगी वहीं मूर्ति इस जमीन में
हाथ दो पारस थे जिसके
मिट्टी को कंचन बनाना चाहता था
जन्म से ही धर्म जीता था मनुज का
लोग पूछें तो बता देना
किसी से कुछ माँगा

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